मई 2014 के बाद राष्ट्रीय प्रशासन में आने का अवसर मिला। यहां भी ज़िम्मेदारी, पारदर्शिता एवं जवाबदेही स्थापित करने के लिए प्रयासरत रहा :-
सन 2014 के मध्य में एक ऐतिहासिक चुनाव के बाद श्री नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने और मैं प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव बनकर आया ।
मैं प्रधानमंत्री कार्यालय में उद्योग, मार्ग एवं वाहन व्यवहार, पर्यावरण एवं वन, उर्जा, कोयला, नवीन उर्जा, खान, पोत आदि मंत्रालय देखता था ।
इस कार्यावधि के दरम्यान विशेष रूप से देश में व्यापार करने की प्रक्रिया का सरलीकरण तथा औद्योगिक निवेश एवं उत्पादन बढ़ाने के कार्य एवं इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास प्राथमिकता में रहे ।
प्रधानमंत्री कार्यालय में श्री मोदी जी द्वारा गरीबों के लिए बैंक अकाउंट खोलने का कार्य शुरू किया गया। जिसे ‘जन धन योजना’ कहा जाता है । इसमें हम लोगों ने कार्य किया ।
प्रधानमंत्री कार्यालय में जन शिकायतों के निपटारे के लिए एवं कार्यक्रमों के और प्रोजेक्टों के अमलीकरण के लिए PRAGATI नाम का ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया ।
1 मई, 2020 से मैं भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय का सचिव बना ।
इन दिनों यह क्षेत्र कोविड के चलते सर्वाधिक संकटग्रस्त क्षेत्र रहा । इस पर आधारित बहुत से मजदूरों की आजीविका के साथ-साथ पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा रही थी । इन दिनों में सर्वप्रथम जो कार्य करना था वो था, छोटे उद्यमों को सहारा देना एवं इस समस्या को अवसर में बदलना और बुरे समयकाल से निकलकर लघु एवं छोटे उद्यमों को बड़ा बनाना ।
इस परिस्थिति में उत्पन्न हो रही शिकायतों के निपटारे के लिए चार्ज लेने के कुछ ही दिनों में CHAMPION पोर्टल बनाया । जिसका औपचारिक लांच मान. प्रधानमन्त्री जी ने १ जून २०२० को किया ।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के सचिव के रूप में मैंने ऐसे समय पर कार्यभार संभाला, जब कोविड महामारी का विपरीत असर चरम सीमा पर था । मुझे संतोष है कि 8 महीनों में ही इस क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने में बहुत सफलता मिली । ऐसे छोटे उद्यमों की अनेक प्रकार से देख-रेख की गई ।
इस भावना से दीपावली, 2020 के त्योहारों के पहले 'उजाले इन उम्मीदों के' नाम का व्यापक सोशल मीडिया अभियान शुरू किया गया । मैंने स्वयं इस योजना का नेतृत्व करते हुए उसमें बहुत योगदान दिया ।
उन्हीं प्रयासों के तहत अपने छोटे कारीगर, छोटे उद्यमी एवं ग्रामीण शिल्पियों के हाथों बनी हुई वस्तुएं लोगों तक पहुँची । लोगों ने उन वस्तुओं को खरीदा जिससे छोटे लोगों की आजीविका बनी रही ।
मैं MSME के अपने अनुभव से कह सकता हूँ कि भारत में विश्व की फैक्टरी बनने की क्षमता है ।